Tuesday, March 15, 2011

बन के दिखाओ विश्वामित्र तब आएगी मेनका

जलता रहा है दिल कब से, अब सिर्फ राख बाकी है
मिल ना सका प्यार जो उसकी अभी भी तलाश बाकी है
यू नहीं गुजारते रात जाग कर
और नींद में भी चीखते रहे
मुझे प्यार कर ,मुझे प्यार कर
दुरिया मिटाने की हर संभव प्रयास जारी है
हर लड़की लगती खुबसूरत हर लड़की लगती प्यारी है
फिर भी कोई पास ना आए तो दिल क्या करे,
टकटकी लगा कर देख रहे सबको हम खड़े खड़े

जाने कितनी गालियाँ पड़ी और पिट चूका कई बार है
पर प्यार के लिए हर जिल्लत, हर मार करनी पड़ती स्वीकार है
ऐ दोस्त मेरे तू गम ना कर वो दिन कभी तो आएगा
कोई तो देख तुम्हे शर्माएगी जब तू देख उसे मुस्काएगा
मत सोचो गोरी है या काली, सुंदरी के कई रूप है
जो मिल जाए अपना लो ,सब एक ही चाहत की धुप है
अर्जुन की तरह तुम्हारा लक्ष्य केवल पाना प्यार है
चाहे जो भी करना पड़े तुम्हे अगर सब स्वीकार है
तो जान लो ये कि तेरा इतना मेहनत करना बेकार है
आज कल प्यार बिकाऊ है ,सारी दुनिया खरीदार है

अगर पैसा है ,बना सकते हो बातें गोल गोल
तो तेरी भी बज सकती है फटी ढोल
खुल के बोली लगा दे किसी के नाम की
तुझे ज़रूर मिलेगी तेरे काम की
क्या कहा, ना बातें बड़ी नाही पैसा है
तो तू भी मेरे जैसा है
आ बैठ , फेर लड़कियों के नाम की मनका
बन के दिखाओ विश्वामित्र तब आएगी मेनका