हमारे अपने ही हमे रुलाते है ...........
ये जो गीत लिखकर हम सुनाते है
इन्हें याद कर वो भी गुनगुनाते है
वादे तो करते है वो लाखो
मगर नहीं एक भी निभाते है
जिंदगी में दोस्तों ऐसे भी दिन आते है
हमारे अपने ही हमे रुलाते है ...........
वो जो इतने दूर है हमसे
इंतजार में बैठे है जिनके कबसे
पता नहीं क्यों रूठे है वो इस कद्र
की अब तो वो खवाबो में भी नहीं आते है
जिंदगी में दोस्तों ऐसे भी दिन आते है
हमारे अपने ही हमे रुलाते है ...........
कई बार हसीं सपने दिखाते है
और देखकर हमको मुस्कुराते है
और इस ज़माने में वक़्त पर
साये भी साथ छोड़ जाते है
जिंदगी में दोस्तों ऐसे भी दिन आते है
हमारे अपने ही हमे रुलाते है ...........
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